हैप्पी बालिका दिवस शक्ति का प्रतीक है भक्ति का गीत है नारी बड़ी निर्भीक है क्यों कहते इसे अबला, निर्जीव करती,सजीव है नव जीवन देती नित है कभी मां,कभी बहन, बनाती जीवन पुनीत है नारी बड़ी निर्भीक है निराश-हताश जीवन मे, ये आशा की उम्मीद है ये हार को बनाती जीत है अनेक रिश्तों को सजाती, ये हर रिश्ते की नींव है पाषण बने जीवन मे, जिंदगी को देती प्रीत है नारी बड़ी निर्भीक है जो करते नारी आदर, वो पाते खुशी नीर है जो करते नारी निरादर, वो पाते गम के नीर है नारी प्रकृति का रूप है, जीवन बनाती रमणीक है नारी बड़ी निर्भीक है जहां इसे सम्मान मिलता, स्वर्ग-तुल्य बनती तस्वीर है नारी बिना,ये जीवन साखी, बिना आंनद की जंजीर है नारी ही सिर्फ समझती है, दूसरों लोगो की पीर है नारी बड़ी निर्भीक है इसे मत समझो कमजोर ये मां अम्बे की शमशीर है पर आज नारी खो बैठी, खुद की लोह तस्वीर है वो यूँही बैठी गम्भीर है उसके पास लक्ष्मीबाई का, अंग्रेजो को मारनेवाला तीर है मौत के मुँह से बाहर लाती, ये मां सावित्री का चीर है नारी मिटाती तिमिर है ज्योति-पुंज गम्भीर है पति को देती सीस निशानी, खोलते हुए लहूं की हीर है नारी बड़ी निर्भीक है भक्ति की अमिट मीराबाई की पीर है अग्नि जोहर करनेवाली, मां पद्मिनी की समीर है खुद्दारी के लिये, कभी न बेचती जमीर है याद रखो हिंद नारी, स्वाभिमान का गीत है दिल से विजय नारी बडी निर्भीक