— % & इश्क एक धोखा इश्क एक भरम, फिर भी ना जाने क्यों उन्हें चाहते हैं हम, उसको हम जानते हैं ....मानते हैं कि, वह ना होगा हमारा फिर भी न जाने क्यों उसको मानते हैं हम। इश्क रूह का वह एहसास है जो किसी की शक्ल सूरत देख के नहीं किया जाता वह बस हो जाता है जब विचार मिलते हैं भावनाएं मिलती है, और परस्पर निगाहों का असर एक दूसरे पर इतना गहरा जाता है कि हर जगह वही नज़र आता है। आईना भी जब देखते हैं तो खुद के भीतर भी उसी का चेहरा नज़र आता है । उसी से बातें करने का मन करता है ढेरों घंटों । चाहे वह हमें चाहे या ना चाहे एक तरफा प्यार मुकम्मल कामिव होता है, क्योंकि इससे दूसरों से कोई उम्मीद नहीं होती, ना चाहते हुए भी हम उसके लिए हर वक्त, हर दम, हर पल दुआ मांगते हैं, क्योंकि हमारा प्यार सच्चा है और प्यार की यही सच्चाई है कि जिससे हम प्यार करते हैं उसको जरा भी तकलीफ ना हो बस ईश्वर से हरदम यही मंगल कामना करते हैं । इश्क़ - मोहब्बत का नाम पाना नहीं है, इश्क़ का मतलब त्याग है, अगर इश्क़ में पाने की इच्छा रखोगे तो उसको इश्क़ नहीं कहते उसको वासना कहते हैं। रुह से रुह का मिलन इश्क़ हैं, आत्मा से आत्मा का मिलन इश्क है, फिर वह चाहे जीवन में हमें हासिल हो चाहे ना हासिल हो उसके लिए दुआ के लिए हाथ हमेशा उठते ही रहना भी मुकम्मल इश्क़ ही हैं। Dr Rosy Sumbria