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क्या कहूँ ? क्या कहूं तेरी तारीफ में, कहूँ के तेर

क्या कहूँ ?
क्या कहूं तेरी तारीफ में, 
कहूँ के तेरा चेहरा वो हसीं मंज़र है,  जिसे देख आंखे ठेहर जाती है ,, 
ना जाने दिल को किस बात की जल्दबाज़ी हो जाती है, 
जब तू सामने आती है,, 
यूँ तो जीता हुँ मैं एक खुशनुमा जिंदगी मगर, 
खुशी की हद हो जाती है जब तू मुस्कुराती है,, 
क्या कहूँ? 
कहूँ के सुकूँ मिलता है तेरी उन बेमतलब सी बातों से, 
जिनमे कोई तर्क नहीं होता,, 
कहूँ की तुझे छत पे देखकर गलतफहमी हो जाती है, 
के तुझमे और चाँद में कोई फर्क नहीं होता,, 
क्या कहूँ? क्या कहूँ?  (part-1) check out my profile for full poetry,,
क्या कहूँ ?
क्या कहूं तेरी तारीफ में, 
कहूँ के तेरा चेहरा वो हसीं मंज़र है,  जिसे देख आंखे ठेहर जाती है ,, 
ना जाने दिल को किस बात की जल्दबाज़ी हो जाती है, 
जब तू सामने आती है,, 
यूँ तो जीता हुँ मैं एक खुशनुमा जिंदगी मगर, 
खुशी की हद हो जाती है जब तू मुस्कुराती है,, 
क्या कहूँ? 
कहूँ के सुकूँ मिलता है तेरी उन बेमतलब सी बातों से, 
जिनमे कोई तर्क नहीं होता,, 
कहूँ की तुझे छत पे देखकर गलतफहमी हो जाती है, 
के तुझमे और चाँद में कोई फर्क नहीं होता,, 
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prakash4355

prakash

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