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मोहब्बत अब खत वाली नहीं इंतज़ार जैसी कोई अब बात नह

मोहब्बत अब खत वाली नहीं 
इंतज़ार जैसी कोई अब बात नहीं होती 
हाँथ पकड़ के चल सके 
ऐसी मीठी याद नहीं होती 
मौन को सुन सको 
ऐसा कोई लम्हे ख़ास नहीं होती 
तोफेह भी अब महंगे है 
इसमें अब गुलाब नहीं होती 
अब तो कोई टॉफ़ी के रैपर भी
सम्हाल कर अपने यादों में नहीं बसाते

©shreema kaushik
  #merikHushi #oldpoetry