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वो ले गयी मेरे आँखों के पानी भी शायद, अब तो ख्वाह

वो ले गयी मेरे आँखों के पानी भी शायद, 
अब तो ख्वाहिश है कि बस एक दफ़ा रोना आ जाए...
और मैं फिर बैठा हूँ उसी पुराने छत के मुंडेर पे अपने, 
कि प्यार किसी ज़माने का हो दर्द ज़रूर देता है। 

सुनता भी कहाँ है कोई दर्द किसी का अब यहाँ ,
कि दिन में भी दरवाज़े बंद रखते है लोग 
और किसी को यादों मे रखकर जिंदगी नहीं गुज़रती 
पर उसके सिवा कुछ अच्छा भी तो नहीं लगता, 
और उसको ख़बर भी कहाँ कि उसके जाने का दर्द 
कितना गहरा हुआ है, कि ख़ुद में मशगूल लोग 
अक्सर पुराना वक़्त भूल जाते हैं।

©Nitish choubey #broken #breakuppoetry 
#alone #dilkibaatein 
#followmeformorequotes
वो ले गयी मेरे आँखों के पानी भी शायद, 
अब तो ख्वाहिश है कि बस एक दफ़ा रोना आ जाए...
और मैं फिर बैठा हूँ उसी पुराने छत के मुंडेर पे अपने, 
कि प्यार किसी ज़माने का हो दर्द ज़रूर देता है। 

सुनता भी कहाँ है कोई दर्द किसी का अब यहाँ ,
कि दिन में भी दरवाज़े बंद रखते है लोग 
और किसी को यादों मे रखकर जिंदगी नहीं गुज़रती 
पर उसके सिवा कुछ अच्छा भी तो नहीं लगता, 
और उसको ख़बर भी कहाँ कि उसके जाने का दर्द 
कितना गहरा हुआ है, कि ख़ुद में मशगूल लोग 
अक्सर पुराना वक़्त भूल जाते हैं।

©Nitish choubey #broken #breakuppoetry 
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#followmeformorequotes