शायद मैं बोल देता तो माँ समझ जाती सरकारी नौकरियाँ हर किसी को नही मिल पाती शायद मैं बोल देता तो पिता जान जाते ये डिग्रियाँ महज़ कागज़ के टुकड़े है वो पहचान जाते शायद मैं बोल देता तो दोस्त ज़रूर समझता बेशक़ मोहब्बत है मगर अब जी नही कहता शायद मैं बोल देता तो मै खुद जान जाता ख़्वाबों का पन्ना न फाड़ पाता शायद मैं बोल देता तो आज मैं, मैं न होता शायद खुद को न खोता शायद मैं बोल देता ©Sarthak dev #khwab #naukri #youth #majboori #poem #shayri #love #shyad#bol