ना कोई मंजिल है ना कोई राहा है मेरा तो बस तू ही जहां है ना कोई सुबह है ना कोई शाम है मेरी ज़िन्दगी की तु ही सुबह शाम है ना जीता हूं ना मारता हूं मै तो तेरे सायो से चलता हूं ना तो हस्ता हूं ना रोता हूं अपना सब कुछ तुझे दे बैठा हूं ना कोई शिकवा है ना कोई शिकायत है मेरी तो बस तू ही चाहत है (Bhk) Write by (BHK)