किसी ने देखा नही उसे कराहते हुए कंबल की ओट से एक सिसकी सुनाई पड़ती है अकेले घर मे एकांत बैठी है आँखो से अशु् की बुंद भलिभाँति झलकती है पुछो तो कुछ नाही ही जवाब सुनाई पड़ती है हाल उसका , खबर उसकी , उसे भी नहीं जिसके याद में आँसू बहाए जा रही है क्षत्राणीं है वो , हर पीड़ा , हर दर्द , हर कसक छिपाए जा रही हैं । उसकी पीड़ा