न जाने क्यों उससे अब कोई बात नहीं होती हैं मिलती थी बहुत चोरी से आकर, पर अब मुलाकात नहीं होती हैं सुरज ढलने से पहले सजा लेते थे जिनके सपने सारी पहर गुजर जाती हैं, पर वैसी रात नहीं होती हैं क्या मिलेगी वो आकर कभी