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" फूल का दर्द " एक फूल लगाया था

                  " फूल का दर्द "

एक फूल लगाया था प्यारा सा मैने अपने खुशियों की बगिया मे,
बड़ा लाड़ दिया उसे उस तितली ने जो रहती थी मेरे बगिया मे, 
महक उठी बगिया मेरी जब उस फूल ने आँखें खोली फैलाई अपने पंखुड़ियों को, 
ख़ुश थी बहुत उस दिन वो तितली जो मिल गयी थी  वजह उसे जीवन बिताने को, 
 एक दिन एक अन्जान मुसाफिर आया  उस फूल ने देख उसे भी मुस्काया,
दिया तोड़ मुसाफिर ने उस फूल को कर दिया उसे बगिया से अलग, 
मसल दिया उन कोमल पंखुड़ियों को दिया उसे धरती पे पटक, 
मसले पंखुड़ियों के रिसते दर्द आँखों मे फूल के आँसू था, 
क्या दया ना आयी उस मुसाफिर को क्या दिल उसका इतना कुंठित था, 
अब तितली बेचारी क्या करें, जिसके सुकून का वो फूल ही ठिकाना था, 
छिन गयी फूल खो गयी तिलती बगिया हुई वीरान मेरी, 
पूछती है अंतरात्मा मेरी बता अब क्या है पहचान तेरी.....!!!  ये पंक्तियां बच्चियों के साथ हो रहे 
कुकर्मों पे है.. 
फूल-- एक छोटी बच्ची
तितली-- माँ
मुसाफिर-- कुकर्मी
बगिया-- समाज

#dard
                  " फूल का दर्द "

एक फूल लगाया था प्यारा सा मैने अपने खुशियों की बगिया मे,
बड़ा लाड़ दिया उसे उस तितली ने जो रहती थी मेरे बगिया मे, 
महक उठी बगिया मेरी जब उस फूल ने आँखें खोली फैलाई अपने पंखुड़ियों को, 
ख़ुश थी बहुत उस दिन वो तितली जो मिल गयी थी  वजह उसे जीवन बिताने को, 
 एक दिन एक अन्जान मुसाफिर आया  उस फूल ने देख उसे भी मुस्काया,
दिया तोड़ मुसाफिर ने उस फूल को कर दिया उसे बगिया से अलग, 
मसल दिया उन कोमल पंखुड़ियों को दिया उसे धरती पे पटक, 
मसले पंखुड़ियों के रिसते दर्द आँखों मे फूल के आँसू था, 
क्या दया ना आयी उस मुसाफिर को क्या दिल उसका इतना कुंठित था, 
अब तितली बेचारी क्या करें, जिसके सुकून का वो फूल ही ठिकाना था, 
छिन गयी फूल खो गयी तिलती बगिया हुई वीरान मेरी, 
पूछती है अंतरात्मा मेरी बता अब क्या है पहचान तेरी.....!!!  ये पंक्तियां बच्चियों के साथ हो रहे 
कुकर्मों पे है.. 
फूल-- एक छोटी बच्ची
तितली-- माँ
मुसाफिर-- कुकर्मी
बगिया-- समाज

#dard

ये पंक्तियां बच्चियों के साथ हो रहे कुकर्मों पे है.. फूल-- एक छोटी बच्ची तितली-- माँ मुसाफिर-- कुकर्मी बगिया-- समाज #Dard #yqdidi #APRADH #Wasna