हम उतना उलझे भी नहीं, के आप सुलझा न सको और उतना सुलझा भी नहीं, के आप उलझा न सको हम उतना चालाक भी नहीं,जितना आप समझते हैं और उतना नादान भी नहीं,जितना आप कहते हैं हम, बस एक अदना सा इन्शान हैं.. साहब ! पता नहीं,कब सांसें थम जाएं इस लिए बैलेंस बना कर चलते हैं क्योकी हम तो हैं बस.... 50/50 हम तो हैं.....