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चलो जमाना हुआ मुस्कुराए हुए आज मुस्कुरा कर तो देख

चलो जमाना हुआ मुस्कुराए हुए 
आज मुस्कुरा कर तो देखते हैं
 बीते लम्हों में हम
 खुशियां ढूंढ कर तो देखते हैं
 रोने का बहाना तो सब दे देंगे
 हम आज खुश होने का बहाना ढूंढ लेते हैं 
वह क्या सोचे मेरे लिए 
यह मैं क्यूं सोचू 
मैं वह सोचू तो फिर वह क्या सोचे
 यह सोचकर थोड़ा मुस्कुरा कर तो देखते
 हर कोई दुनिया में पीछे खिंचता है 
हर कोई नीचे गिराने की सोचता है
 चलो आज हम कदम मिलाकर 
साथ चलकर तो देखे
 चलो आसमान छू कर तो देखते हैं 
जमाना बीत गया है 
चलो आज बीच की दीवार तोड़ कर तो देखते हैं
 चलो आज मुस्कुरा कर देखते हैं 
किस्सा कोई पुराना याद कर के तो देखते हैं
 फिर उनकी याद में खुशी के आंसू बहा कर तो देखते हैं

©Manju Sharma 'kanti'
  चलो आज

चलो आज #कविता

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