उठने पे बोलने का मन नहीं करता शिक़वा बजा नहीं के सुख़न नहीं करता जो हम करते हैं याँ कोई नहीं करता कोकिल तो करती है चमन नहीं करता कोई ख़ुदा से कह दो नेकी बहोत जमा है यानी के दिल करता है बदन नहीं करता सूख के बंजर हुई प्यार नहीं है बाक़ी धरती तो करती है गगन नहीं करता बजा - सही, सुख़न - शायरी #cinemagraph#yqquotes #yqtales #yqlife #yqlove #yqdidi #yqthoughts #yqdiary