ये इंसान का डर ही हैं जो जिन्दगी को दीमक की तरह अंदर ही अंदर खा जाता हैं, और जिन्दगी को खुलकर जीने नहीं देता। 10:15 p. m. 23/1/25 U. K. ©Ubaida khatoon Siddiqui #Ubaidakhatoon #ubaidawrites #Thoughts आज का विचार