मुक्तक ------- मेरी खुशियां और मेरा अरमान बन जाना बेशक़ हैं दो जिस्म मगर इक जान बन जाना। आयें कहीं अंधेरी राहें खोने लगे वजूद गर मैं तुम्हारी तुम मेरी पहचान बन जाना।। #अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं