मत हो ---------- मन मेरे अधीर मत हो और केवल शरीर मत हो प्रेम किया तो मिला सुख अब पीड़ा की लकीर मत हो एक दुनिया जो तुमने बनाई है तुम हो उसमें मैं हूँ, फूल और सितारे हैं मोहब्बत की महक खुशियों का चाँद , ख़्वाबों का आसमान सहजता और सुकून से भरे नज़ारे हैं संवारे जो बंधन इतने प्यारे वार कर उनको फ़क़ीर मत हो मत हो ---------- मन मेरे अधीर मत हो और केवल शरीर मत हो प्रेम किया तो मिला सुख अब पीड़ा की लकीर मत हो