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कुछ रंग के थे रंग कई कुछ उजले थे कुछ बुझे हुए...

कुछ रंग के थे रंग कई 
कुछ उजले थे कुछ बुझे हुए...

कुछ ख्वाब थे कुछ ज़िंदगी
कुछ उलझे थे कुछ सुलझे हुए...

कुछ हरसू था धुआं धुआं
कुछ राख थे कुछ खाक हुए...

कुछ सुकून दे गए कुछ पल
कुछ चिंता में थे धुल गए...

कुछ बनाते गए कहानियां
कुछ रुककर यूं थे मुड़ गए...

कुछ रूब़रू हुए सच से जब
कुछ ख़्वाब मिले दम तोड़े हुए...

©Swati kashyap
  #कुछ_ख्वाब