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ओढ़ के मेरी मोहब्बत की गरम चादर चूम लो मुझे जहाँ ज

ओढ़ के मेरी मोहब्बत की गरम चादर
चूम लो मुझे जहाँ जी चाहे जोश में आ कर
मुद्दतों बाद मिले हैं, क्यों न हो आज जश्न की रात
खामोश कर दो अधूरे अरमानों का सागर

©Mohammad Atif
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