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रस्ते कहाँ खत्म होते हैं जिंदगी के सफर में मंज़िल त

रस्ते कहाँ खत्म होते हैं जिंदगी के सफर में
मंज़िल तो वही है जहां ख्वाहिशें थम जाएँ।
एक रास्ता ये भी है मंजिलों को पाने का
सीख लो तुम भी हुनर हाँ में हाँ मिलाने का।
मेरे जुनूँ को ज़ुल्फ़ के साए से दूर रख
रस्ते में छाँव पा के मुसाफ़िर ठहर न जाए।
ये क्या जगह है दोस्तो ये कौन सा दयार है
हद्द-ए-निगाह तक जहाँ ग़ुबार ही ग़ुबार है। 

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@ak status.

©अ..से..(अखिलेश).$S....'''''''''!
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