सुनो!चलो न एक कप काफ़ी पी के आते हैं फिर वही पुराने ख़ुसी के लम्हे जी के आते हैं चलो न एक कप काफी पी के आते हैं।। तुम बैठना सामने मेरे मैं तुम्हे देखूँगा, तुम काफ़ी में चीनी मिलाना मैं तुम्हे देखूंगा एक ही कप में हम बारी बारी से कॉफ़ी पी लेंगे हम तुम की जिंदगी की काफ़ी भी बहोत फीकी हो गई है न ? चलो न फिर से उसमे भी कुछ चीनी मिलाते हैं चलो न एक कप काफ़ी पी के आते हैं।। जिंदगी यूँ अंधकार सी हो गई,तुम बिन जैसे कहीं खो गई कॉफी है पर अब वो मिठास नही,पहले जैसा कोई एहसास नही जिंदगी बस भाग दौड़ में गुजरती जा रही ,कोई चाह नही कोई आस नही चलो न अंधेरे को हटा फिर आलोक बुलाते हैं चलो न एक कप कॉफी पी के आते हैं।। वक्त के साथ हम तुम खो गए, किसी ग्रंथ के अनपढ़े पृष्ठ से हो गए जड़ मैं बन गया ,पत्थर सी तुम हो गई, इस तरह हम दोनों किसी अनसुलझे रहस्य से हो गए चलो न साथ बैठ कर यह रहस्य सुलझाते हैं चलो न एक कप काफ़ी पी के आते हैं।। love