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तुझसे मिलने को मै अपने, ख़्वाब को दावत देती

तुझसे मिलने को मै अपने,
       ख़्वाब को दावत देती हूँ...,!
आजकल दिल से दिल तक,
               यूँ बातें करती हूँ...!
खुश तो नहीं हूँ,,
       तुझसे दूर तो बहुत हूँ मैं...!
पर तेरी लिखी हुई चिट्ठियों में,
                 बार-बार पढ़ती हूँ...!.
नीले आसमान पर जब भी मैं,
             चाँद को सर्वत देखती हूँ....!
 आँखें बंद करते मैं तेरी,
                 छवि अपने अंदर पाती हूँ,...! 
  जब भी कभी तेरी गलियों से,
        ,                मैं  गुजरती हूँ...!
हमारे प्यार के वो सुनहरे पल की,
               प्यार भरी खुशबू पाती हूँ...!!

©rishika khushi #gajalshayari 
#तुझसे_इश्क़_इतना
तुझसे मिलने को मै अपने,
       ख़्वाब को दावत देती हूँ...,!
आजकल दिल से दिल तक,
               यूँ बातें करती हूँ...!
खुश तो नहीं हूँ,,
       तुझसे दूर तो बहुत हूँ मैं...!
पर तेरी लिखी हुई चिट्ठियों में,
                 बार-बार पढ़ती हूँ...!.
नीले आसमान पर जब भी मैं,
             चाँद को सर्वत देखती हूँ....!
 आँखें बंद करते मैं तेरी,
                 छवि अपने अंदर पाती हूँ,...! 
  जब भी कभी तेरी गलियों से,
        ,                मैं  गुजरती हूँ...!
हमारे प्यार के वो सुनहरे पल की,
               प्यार भरी खुशबू पाती हूँ...!!

©rishika khushi #gajalshayari 
#तुझसे_इश्क़_इतना