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जनसंख्या वृद्धि विस्फोटक है, कब फट जाए,सबको खतरा ह

जनसंख्या वृद्धि विस्फोटक है,
कब फट जाए,सबको खतरा है।
फल फूल रही बेकारी,बेग़ौरी,
इंसानियत हुई कतरा-कतरा है।।
ऐसे हो रहे असहिष्णु मंजर,
दृश्य देख मानवता काँपती ।
आगे की कहानी कैसा होगी 
पारखी आँखें भविष्य भाँपती ।।
दाने-दाने पर होंगे रण,
इंच-इंच पर रक्त बहेंगे ।
एक-एक ,दो-दो  नौनिहाल ,
 अति का प्रहार  कैसे सह लेंगे।।
जागो-जागो सत्ता दीवानों ,
समय रहते कोई नीति बनालो।
अनियंत्रित बहता जन-लावा रोको,
कुछ करो और अस्तित्व बचालो ।।
पुष्पेन्द्र "पंकज"

©Pushpendra Pankaj जनसंख्या वृद्धि पर अंकुश जरूरी हैं
जनसंख्या वृद्धि विस्फोटक है,
कब फट जाए,सबको खतरा है।
फल फूल रही बेकारी,बेग़ौरी,
इंसानियत हुई कतरा-कतरा है।।
ऐसे हो रहे असहिष्णु मंजर,
दृश्य देख मानवता काँपती ।
आगे की कहानी कैसा होगी 
पारखी आँखें भविष्य भाँपती ।।
दाने-दाने पर होंगे रण,
इंच-इंच पर रक्त बहेंगे ।
एक-एक ,दो-दो  नौनिहाल ,
 अति का प्रहार  कैसे सह लेंगे।।
जागो-जागो सत्ता दीवानों ,
समय रहते कोई नीति बनालो।
अनियंत्रित बहता जन-लावा रोको,
कुछ करो और अस्तित्व बचालो ।।
पुष्पेन्द्र "पंकज"

©Pushpendra Pankaj जनसंख्या वृद्धि पर अंकुश जरूरी हैं