चलो सुनाऊँ दिल का किस्सा क्या हुआ?
जो भी हुआ जैसा हुआ अच्छा हुआ।
जख्म बन रहीं थीं थोड़ी सी सीने में
फिर मजा नहीं था पहले जैसा जीने में,
मैं डाल डाल पर बन्दर जैसा उछल रहा था
जैसे कहती थी आड़ा तिरछा चल रहा था,
देखा जितना ख्वाब सब धुआं हुआ
जो भी हुआ जैसा हुआ अच्छा हुआ। #lost