आ भी जाओ प्रिय तुम, दूरियाँ ख़त्म कर दो अब तो तुम बहुत हो चुकी बेवज़ह तकरार हमारी, बहुत हो चुका अकारण रूठना तुम्हारा बाँहों के घेरे में ले लो अब तो मुझको तुम मुझ पतझड़ पर छा जाओ वसंती मौसम बन चहकने दो फिर से मुझको कोयल-सा तुम झूमो संग आकर,मुझ राधा के रसिक बिहारी बन तृप्त कर दो मेरे विरहाकुल मन को तुम आकर कर दो अप्रतिम प्रेम-वर्षा मुझ पर तुम 🌹🌹🌹 Muनेश...Meरी✍️ रचना विषय 20 - 'प्रेम वर्षा' 8-10 पंक्तियों की रचना कर प्रतियोगिता में भाग लें। विशेष:- आवश्यक नियम पिन पोस्ट के कैप्शन में पढ़ें। 🔥आज से आप सभी प्रतिदिन 12:00 am तक रचनाएँ भेज सकते हैं। 🌠 आप सभी की रचनाओं को उचित स्थान दिलाने के लिए हमारी टीम निरंतर प्रयाश कर रही है । अब आप सभी लोग हमारे विषय तथा उस दिन की उत्कृष्ठ रचना को इंस्टाग्राम, फेसबुक पेज तथा ट्विटर जैसे सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्राप्त कर सकते हैं साथ ही आप सभी कोई भी शिकायत या सुझाव निःसंकोच भेज सकते हैं। लिंक प्रोफ़ाइल पर दी गयी है।