सुन मेरा गान ज्वलित होती हृदयन की बाती, प्रिय कर आह्वान अमित विनयन तव सीप खिले है अंतर में झर झर बूँद-बूँद प्रियतम की स्वाति, लिख दूँ व्याख्यान प्रकट मन्थन मन मीत मिले है #मनमीत #ज्वलन #विरह #सीप #दीप #vrindasays #लौ #alokstates