❤️ग़ज़ल❤️Date/11/08/020 मिलके बिछड़ना तो रीत सदियों पुरानी है हुआ ना इश्क़ पूरा,अधूरी ये कहानी है। मिले सच्चा जो साथी तो हसीं ये ज़िन्दगानी है हो गम कितना भी मगर,ग़मों में भी रवानी है। हमसफ़र ही ना सही हो तो सफ़र कैसे कटेगा बची जीवन भी आख़िर में,जहन्नम ही बनेगा। खुशियाँ हो लाख़ जीवन में खुशियाँ लूट जाती है लगाओ दिल किसी से,तो नसीबा रुठ जाती है। लाखों की भीड़“मुकेश"हमसफ़र चुने किसको पकड़ो ग़र हाथ किसी का,बदनाम कर जाते हैं। मिलके बिछड़ना तो रीत सदियों पुरानी है.............#yq didi