भीड़ भरे चौराहे पर जब, सांस लेने में तकलीफ हुई तो इल्ज़ाम हवाओं पर लगाया की बो जहरीली हो गयी । तपती दुपहरी में जब, पानी पीने पर पेट दर्द हुआ , तो इल्ज़ाम नदी पर लगाया , की बो जहरीली हो गयी । फुरसत में कुछ पल जमीन पर बैठे जब, पैरों में जलन और खुजली हुई तो इल्ज़ाम जमीन पर लगाया , की बो जहरीली हो गयी । शाम को संगीत का आनंद लेने बैठे जब , कान में असहनीय दर्द हुआ तो इल्ज़ाम आवाज़ पर लगाया की बो जहरीली हो गयी । भूमि ,जल और वायु एवम ध्वनि का उलाहना देकर सब को दूषित कर आया खुद मानव अंदर खुद के झांक कर देखा तो आखिरी मुल्ज़िम खुद थे हम ।