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रात का सफऱ बेहिसब जगा हु मंजिल की तलाश मे दरबदर भ

रात का सफऱ बेहिसब जगा हु 
मंजिल की तलाश मे दरबदर भटका हु 



बंदिश-ऐ-गुलाम सा हैँ सफऱ  
हर दफा हर रहा मे दुवा सा किये जा रहा हु 

                                                      आर्य "अधूरा" #दुवा
रात का सफऱ बेहिसब जगा हु 
मंजिल की तलाश मे दरबदर भटका हु 



बंदिश-ऐ-गुलाम सा हैँ सफऱ  
हर दफा हर रहा मे दुवा सा किये जा रहा हु 

                                                      आर्य "अधूरा" #दुवा
arya6990063469610

arya yadav

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