सावन में जब चुनरी लहराई धरती पर हरियाली छाई बागों में पड़ गए हैं झूले मन मेरा खाए हिचकोले बारिश का आगाज हुआ फिर रितु ने ली है अंगड़ाई बारिश की सुन सरगोशी फिर से बहकी है पुरवाई सावन का संदेश मिला जब बूंदों ने छेड़ी सरगम दिन में बारिश की छम छम है रातों में छाई तन्हाई किसने लूटा चैन दिलों का किसने नींद चुराई सावन में जब चुनरी लहराई| Ankita kushwaha सावन ने जब चुनरी लहराई💕