दर्द और दवा दर्द दे कर दवा दी जाती है ना जाने किस रिवाज़ में। ज़िन्दगी तबाह करते है अपने ना जाने किस मिज़ाज में। ये दुनिया का रिवाज़ और अपनों का मिज़ाज बदल जाये तो, यहाँ दर्द और दवा की जरूरत किसी को भी नहीं समाज में।। My Words #कविता #शायरी #ग़जल #poetry