आज थोड़ा मैं मोहब्बत के उसूल समझाता हूँ हर आशिक का मैं सबको दर्द सुनाता हूँ आशिकी अधूरी रह जाती है सबकी इसमे चलो गम से भरी हुई एक शायरी बनाता हूँ किसी के माथे की बिंदिया को देखकर मोहब्बत मे उसके पड़ जाना किसी के मुस्कुराते हुये चेहरे को देखकर हसीं वादियों में डूब जाना कुछ खट्टी कुछ मीठी यादों की याद दिलाता हूँ चलो गम से भरी हुई एक शायरी बनाता हूँ किसी दोस्त का सहारा लेकर अपनी मोहब्बत का इजहार करना मोहब्बत कबूल न होने पर, रातों को जी भरकर रोना जख्म खाए हुए आशिकों की महफिल सजाता हूँ चलो गम से भरी हुई एक शायरी बनाता हूँ मुझे पता है कि मोहब्बत मे, दर्द भी सहना पड़ता है गमों से बनी हुई ईंटों की, चारदीवारी मे रहना पड़ता है फिर भी मैं मोहब्बत का आशियाना बनाता हूँ चलो गम से भरी हुई एक शायरी बनाता हूँ Saurabh Raj Sauri गम से भरी शायरी ♥️