कुदरत भी मेहरबान है आज बेजुबानों पर, कि कैद है इंसानियत आजाद है परिंदों का डर। कि हंसता था इंसान तोड़ कर घरौंदे जिनके, सड़को पर खुले उड़ते है सारी जमीन है उनका घर। गलती का एहसास करो थोड़ा जीने उन्हें भी दो, ना करो पिंचरे में कैद खुलने दो उनके भी पर। ये सारी जमीन थी उनकी कब्ज़ा हमने ही किया, कुदरत का खौफ जागे इंसानियत ही ख़तम हो ' किरन' 'Kiran' #flyingbirds #kiranquotes #kudrat #kauf #insaniyat