बस इतना फर्क है मन्दिर के बाहर बैठ ने वाले भिखारी में और हम में वो मंदिर के बाहर अपने ज़िन्दगी में कुछ पल और जीने केलिए भीख मांग ता हैं और हम मंदिर के अंदर अपने ज़िन्दगी में कुछ और जादा पाने के लिए भीख मांग ते हैं... by Sai Prasad Mahapatra भिखारी