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मुसाफ़िर है तु भी, तेरी यहाँ किसे परवाह, जब अकेला

मुसाफ़िर है तु भी,
तेरी यहाँ किसे परवाह,
जब अकेला आया है, 
तो...अपनी राह खुद बना ।
 बस चलता जा,चलता जा
अपने कदमों के निशां 
छोड़ते जा,
ताकि कोई इन कदमो को देखे तो बस
समझ जाये कि मुसाफ़िर हु मैं भी,
मेरी यहाँ किसे परवाह ।
                 
                            मधुमित (अमित) #forlife
मुसाफ़िर है तु भी,
तेरी यहाँ किसे परवाह,
जब अकेला आया है, 
तो...अपनी राह खुद बना ।
 बस चलता जा,चलता जा
अपने कदमों के निशां 
छोड़ते जा,
ताकि कोई इन कदमो को देखे तो बस
समझ जाये कि मुसाफ़िर हु मैं भी,
मेरी यहाँ किसे परवाह ।
                 
                            मधुमित (अमित) #forlife
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