मुसाफ़िर है तु भी, तेरी यहाँ किसे परवाह, जब अकेला आया है, तो...अपनी राह खुद बना । बस चलता जा,चलता जा अपने कदमों के निशां छोड़ते जा, ताकि कोई इन कदमो को देखे तो बस समझ जाये कि मुसाफ़िर हु मैं भी, मेरी यहाँ किसे परवाह । मधुमित (अमित) #forlife