चांद दू तुम्हें उपहार में ,तुम इसके लायक नहीं, तुम तो मेरे वो चांद हो जिस पर कोई दाग नहीं। तुम सत्य का प्रकाश हो, संसार जिस पर कर सका कोई व्यंग नहीं। अपनी अंतर्रात्मा को समर्पित कर दिया तुम्हें, अब क्या उपहार दूं तुम्हें प्रिय, तुम ईश्वर प्रदत्त वो मेरा उपहार हो, जिसे पुष्पों का हार भी सुशोभित कर पाने में सक्षम नहीं। ............ 🌸🍃जय श्री हरी 🌸🍃 __Satyprabha💕 ___My Life ✍ चांद दू तुम्हें उपहार में ,तुम इसके लायक नहीं, तुम तो मेरे वो चांद हो जिस पर कोई दाग नहीं। तुम सत्य का प्रकाश हो, संसार जिस पर कर सका कोई व्यंग नहीं। अपनी अंतर्रात्मा को समर्पित कर दिया तुम्हें, अब क्या उपहार दूं तुम्हें प्रिय,