न जाने कितना फ़रेब फैलाएगी माहे फ़रवरी इस बरस फ़िरसे नए ख़्वाब सजवाएगी फ़रवरी बंद कमरों में वादों के पुल बनवाएगी फ़रवरी न जाने कितने मासूमों का दिल दुखाएगी फ़रवरी ©Kamal Kant #Rose #shayaris #Broken #alone #thought #Feburary shayari sad