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तुम अनगिन सूर्य से उजले हो, तुम हृदयकमल, तुम प्रसन

तुम अनगिन सूर्य से उजले हो,
तुम हृदयकमल, तुम प्रसन्नमन, 
अंजन से युक्त नेत्र सुन्दर,
बाणों सी चोट करती चितवन,
तुम विरह अग्नि पीने वाले,
तुम किशोर कांति अंग वाले,
श्रीजी संग सदा विहार करें,
श्रीकृष्णचन्द्र! शत–शत प्रणाम।। श्री.....

©Tara Chandra
  श्रीकृष्ण_स्तुति 8/8
tarachandrakandp6970

Tara Chandra

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श्रीकृष्ण_स्तुति 8/8 #समाज

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