लिखूं कैसे जज़्बात, कैसे मैं अपनी कलम चलाऊं दिल ए अल्फाज़ बयां करना, काग़ज़ से सीखा। लिखने की कोशिश करता, न थी लेखन में जान अपने शब्दों को देना उड़ान, काग़ज़ से सीखा। शब्दों का था भंडार, नही था दिल लिखने को तैयार कैसे होता है, लेखनी का भूत सवार, काग़ज़ से सीखा। बिखरे पड़े शब्दों को, भावों की माला में पिरो कर करना सुंदर सी कविता तैयार, काग़ज़ से सीखा। सुंदर सुंदर शीर्षक मिले, एक से बढ़कर एक कविता बने कैसे भावों की उमड़ती है धार, काग़ज़ से सीखा। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1090 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ HAPPY BIRTHDAY KK 😊💐💐 ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।