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नादान ये औरत क्या जाने सब घात लगाए बैठे हैं बातो

नादान ये औरत क्या जाने
 सब घात लगाए बैठे हैं 
बातों में कैसे आएगी 
सब बात बनाए बैठे हैं 
और कब कदम तेरे रास्ता भटके
 सब नजर जमाए बैठे हैं
 यह माल समझते हैं तुझ को 
बाजार सजाए बैठे हैं 
और मुंह से तो तुझे मजलूम कहे 
सोचो मैं नचाए बैठे हैं 
यह बद है बद किरदार भी है 
सूरत को छुपाए बैठे हैं 
तू बहन भी है 
तू मां भी है 
सब रिश्ते भुलाए बैठे हैं 
अगर ऐसा नहीं तो चुप को क्यों है
 क्यों दिन भुलाए बैठे हैं 
और तुम इन पर भरोसा ना करना 
यह जाल बिछाए बैठे हैं 
खुद अपनी हिफाजत करनी है
 यह शर्म मिटाए बैठे है

©Ankit Kumar
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ankitkumar1662

Ankit Kumar

New Creator

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