कब तक अश्क बहाती आंखे दरिया एक दिन सूख गया जो मंजिल की तलाश में निकला था मुसाफिर वो अपने घर का रस्ता भूल गया एक मुद्दत से चाँद नहीं देखा उसने जिसने तुमको एक छलक देखां फिर वो चाँद भूल गया मिले थे जब तुम अब वो लम्हा याद रहा बिछड़े हो जो तुम अब वो लम्हा भूल गया ना जाने उसको कैसे तेरे घर का रस्ता याद रहा वो जो अपने शहर का रस्ता भूल गया कब तक अश्क बहाती आंखे एक दिन वो सो कर सब कुछ भूल गया #shayari #urdupoetry #azkjhs #Farzishayarazk #Nojoto #nojotoapp #nojotoofficial