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मर्द हो न... शायद इसीलिए औरत के जज्बातों से खेलना

मर्द हो न... शायद इसीलिए 
औरत के जज्बातों से खेलना तुम्हारा शौक बन चुका है
नहीं देख सकते तुम उसको हंसते मुस्कुराते 
किसी दूसरे मर्द के साथ नहीं बर्दाश्त होता तुम्हें 
उसका किसी से बात भी करना,
पर क्यों...?
क्योंकि तुम्हारी नजर में मर्द और औरत का 
सिर्फ एक ही रिश्ता है.. 
दोस्ती जैसा शब्द शायद तुम्हारी डिक्शनरी में है ही नहीं
हर रिश्ते की बुनियाद विश्वासपर टिकी होती है 
जरा-सा मुस्कुरा कर बात कर लेने पर
किसी भी औरत पर चरित्रहीनता का आरोप लगा देना
कितना आसान है न तुम्हारे लिए

तुम्हारी घटियानूसी सोच की वजह से आधारहीन बातें
जिनका कोई वजूद नहीं होता आधार बना कर
अविश्वास व्यक्त करना बेबुनियाद शक करना शायद 
तुम्हारा स्वाभाव बन चुका है
तुम्हारा प्रेम सिर्फ वासना से लिप्त है
जिसे तुम प्रेम कहते हो वो सिर्फ देह तक सीमित है

एक औरत का प्रेम देह से परे होता है 
वो अपने प्रेम की तुलना चांद सितारों से नहीं करती
वो सिर्फ एक प्यार भरा स्पर्श चाहती है
आंखों पर जुम्बिश-ए-लब उसे अद्भुत प्रेम का अहसास कराती है

विश्वास प्रेम को बढ़ाता है अविश्वास दूरियां बढ़ाता है
प्रेम को कहना और प्रेम को जीना 
बहुत फर्क है दोनों में जिस दिन प्रेम को 
जीना सीख जाओगे न.. उस दिन अविश्वास, द्वेष और
जलन की भावना से ऊपर उठ जाओगे 
और अपनी ग्रहस्ती को सुंदर चलाओगे.. 
🙏❤💞

©Mahendra Jain #औरत #मर्द #समाज_की_हकीकत #समाजिक_परिवर्तन #समाज_कि_चरित्रहीनता #समाज
मर्द हो न... शायद इसीलिए 
औरत के जज्बातों से खेलना तुम्हारा शौक बन चुका है
नहीं देख सकते तुम उसको हंसते मुस्कुराते 
किसी दूसरे मर्द के साथ नहीं बर्दाश्त होता तुम्हें 
उसका किसी से बात भी करना,
पर क्यों...?
क्योंकि तुम्हारी नजर में मर्द और औरत का 
सिर्फ एक ही रिश्ता है.. 
दोस्ती जैसा शब्द शायद तुम्हारी डिक्शनरी में है ही नहीं
हर रिश्ते की बुनियाद विश्वासपर टिकी होती है 
जरा-सा मुस्कुरा कर बात कर लेने पर
किसी भी औरत पर चरित्रहीनता का आरोप लगा देना
कितना आसान है न तुम्हारे लिए

तुम्हारी घटियानूसी सोच की वजह से आधारहीन बातें
जिनका कोई वजूद नहीं होता आधार बना कर
अविश्वास व्यक्त करना बेबुनियाद शक करना शायद 
तुम्हारा स्वाभाव बन चुका है
तुम्हारा प्रेम सिर्फ वासना से लिप्त है
जिसे तुम प्रेम कहते हो वो सिर्फ देह तक सीमित है

एक औरत का प्रेम देह से परे होता है 
वो अपने प्रेम की तुलना चांद सितारों से नहीं करती
वो सिर्फ एक प्यार भरा स्पर्श चाहती है
आंखों पर जुम्बिश-ए-लब उसे अद्भुत प्रेम का अहसास कराती है

विश्वास प्रेम को बढ़ाता है अविश्वास दूरियां बढ़ाता है
प्रेम को कहना और प्रेम को जीना 
बहुत फर्क है दोनों में जिस दिन प्रेम को 
जीना सीख जाओगे न.. उस दिन अविश्वास, द्वेष और
जलन की भावना से ऊपर उठ जाओगे 
और अपनी ग्रहस्ती को सुंदर चलाओगे.. 
🙏❤💞

©Mahendra Jain #औरत #मर्द #समाज_की_हकीकत #समाजिक_परिवर्तन #समाज_कि_चरित्रहीनता #समाज