क्योंकि तुम पुरूष हो, इसलिए मैं स्त्री हूँ, तुममें नहीं है, कोमलता, दया और स्नेह, मैं तुम्हें सिखाती हूँ, इसलिए मैं स्त्री हूँ, जीवन में संघर्ष मेरा बड़ा है,बेशक़ हम बराबर नहीं है, समाज की नजरों में तुम पुरूष हो तुम अर्थ लगते हो, और मैं तुम में खोई रहती हूँ, इसलिए व्यर्थ लगती हूँ, तुम नहीं त्याग सकते अपने सपने मेरे पीछे, मैं समर्पण जानती हूँ, इसलिए मैं स्त्री हूँ, मैं सशक्त हूँ, दर्पण और अक्स हूँ, और साकर भी मैं हूँ, दर्द हूँ, अकेली हूँ, अंधियारा भी हूँ, और तेज़ प्रकाश भी मैं हूँ, मैं प्रेम करना जानती हुँ, मुझे आता है, तुम्हें जनना, तुम्हें प्रेम सिखाना, तुम्हें "पुरूष" बनाना, तुम्हें नहीं आता, मुझसे माफी मांगना, मना लेना, मुझे पढ़ पाना, इसलिए मैं रूठती नहीं, बस भीतर से टूट जाती हूँ, मैं तुम्हें अपने भावनाओं से सींचती हूँ, सिखाती हूँ, ममता देती हूँ, क्योंकि तुम पुरूष हो, और इसलिए मैं स्त्री हूँ, मैं तुम्हारे ही बनाये गए रिश्तों के कुरुक्षेत्र में, हर वक़्त लड़ती, अपने सपनों को भूल जाती हूँ, और तुम समझ लेते हो इसे मेरा जीवन, मेरा फ़र्ज़, जो तुम्हारे पीछे है, और इसलिए तुम पुरूष हो, और मैं स्त्री हूँ, मैं काम काज़ के साथ भी तुम्हारा परिवार सम्भाल सकती हूँ, मैं चिल्लाती नहीं हूँ, मुझे फ़ुर्सत नहीं की तुम्हें नफ़रत भी दूं, मैं तुम्हें अपने आगे रखना जानती हूँ, समाज में झुक के चलना जानती हूँ ताकि तुम अपने पौरुषता पर गर्व कर सको, बता सको की तुम "पुरूष" मैं ख़ामोशी चुनती हूँ, कमजोरी नहीं, इसलिए तुम पुरूष हो, और मैं स्त्री हूँ.!! ©Vishakha Tripathi #vishakhatripathi #girl #Aurat #Mother #beti #Ldki #alone #freebird