अरे तू अलसाई क्योंहै? तू मुझे आज सताई क्यों है ? हमारी तुम्हारी जुदाई क्यों है ? इतनी भी रूसवाई क्यों है? बीज बोकर प्रेम उगाई क्यों है अन्कुरित नही करना तो लगाई क्यों है? धधकती है आग तो सुहाई क्यों है तेरा मेरा स्नेह है तो मुझे रूलाई क्यों है चलना नही था संग मेरे तो बुलाई क्यों है? अन्दर ही अन्दर प्यार उमडाई क्यों है तेरा मेरा स्नेह है तो सबसे छुपाई क्यों है? जब कुबूल नही था तो हे पगली तो खुले पन्ने को बन्द कर इतनी बेवफाई क्यों है ? शिल्पा यादव ©Shilpa yadav #अपनेपन के दो शब्द #जिंदगी_का_सफर #कौन_हो_तुम