आज मेरे पगले मन मे तुमसे बतियाने की उत्कंठा जाग उठी मैंने सकुचाते हुए मोबाइल पर उंगली नचाई,नंबर डायल किया जैसे बोला हेलो! उधर से आवाज़ आयी अभी बिजी हूँ! दस मिनट बाद बात करती हूँ!10 मिनट!! अरे एक मिनट में तो ट्रेन छूट जाती है दो मिनट में नूडल्स बन जाने का दावा है हर चार मिनट में धरती एक डिग्री देशांतर सफ़र तय कर लेती है हर आठ मिनट में सूरज की किरणें आकर दुआरे पर दस्तक दे जाती है नही नही! अंतर्मन ने हुंकारा, भावनाओं के चढ़ते-उतरते ज्वार ने रिश्तों का मायाजाल तोड़ते हुए स्वयं से कहा हटाओ अब नही करनी बात अंततः दिल दिमाग़ की जिरह में आज़ दिल हार गया!! रिश्तों का मायाजाल (कविता) आज मेरे पगले मन मे तुमसे बतियाने की उत्कंठा जाग उठी मैंने सकुचाते हुए मोबाइल पर उंगली नचाई,नंबर डायल किया जैसे बोला हेलो! उधर से आवाज़ आयी अभी बिजी हूँ! दस मिनट बाद बात करती हूँ!10 मिनट!!