सूर्य प्रकाश में सरकारी कब्जे से मुक्त होते हुए मंदिर सिर से लेकर आलेख में एक अत्यंत ज्वलंत मुद्दे की ओर ध्यान आकर्षित कराया है उनका कहना है उचित ही कर्नाटक के बमोरी सरकार ने राज्य के हिंदू मंदिरों के सरकारी नियंत्रण से स्वतंत्र करने की जो पहल की है वह वास्तव में जन भावनाओं के ऊपर का ही परिणाम है स्वतंत्रता के बाद से ही हिंदुओं के धार्मिक स्थलों पर राज्य के नियंत्रण और हस्तक्षेप से हिंदुओं का बहुत आहित है इस मामले में दक्षिण भारत के मंदिरों को वहां की सरकारों ने दुधारू गाय समझ लिया है तमिलनाडु केरल और कर्नाटक आंध्र प्रदेश तेलंगाना में देश के कई प्रमुख हिंदू मंदिर है जिनके पास संसाधनों की कोई कमी नहीं है लेकिन उन संसाधनों पर उनका ही नियंत्रण नहीं है राज्य की सरकारें अपने नहीं तो स्वास्थ्य की पूर्ति के लिए उनका नया मनमाना दोहन करती है इतना ही नहीं उसके संचालन को लेकर भी स्वच्छ आज जारी रवैया अपनाती है आंध्र प्रदेश के व्याख्याता तिरुमला तिरुपति देवस्थानम को देश के सबसे ध्यान दें मंदिरों में से एक माना जाता है करुणा काल में जब सरकारों ने राजस्व में कमी आई तो राज्य सरकार द्वारा तिरुपति मंदिर के स्वामित्व वाली जमीन की बिक्री करने की खबरें आई जिस पर भारी विरोध हुआ इतना ही नहीं आस्था के लिए ऐसे केंद्र में मंदिर संचालन की नियुक्ति से जुड़े फैसले में राज्य सरकार लेती है इनमें कई बार गैर हिंदू को तैनात किया जाता है जिसमें हिंदू परंपरा और प्रतीकों के प्रति अनावश्यक सहनशीलता का भाव होता है ©Ek villain #good_morning दूसरे राज्यों से भी सीख ले #Thoughts