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कोई सड़क पर मर रहा, कोई रेल की पटरियों पर, कोई भूख

 कोई सड़क पर मर रहा, कोई रेल की पटरियों पर, कोई भूख से, कोई बीमारी से। हमारे देखते-देखते एक बहुत बड़ी मेहनतकश आबादी भिखारियों में बदल दी गई। अब महिलाएं-बच्चे भीख मांगने की कला सीख रहे हैं, क़तार में रहने का धैर्य अर्जित कर रहे हैं। कोरोना से ऐसे लड़ना है तो यह बहुत बड़ी क़ीमत है।
 कोई सड़क पर मर रहा, कोई रेल की पटरियों पर, कोई भूख से, कोई बीमारी से। हमारे देखते-देखते एक बहुत बड़ी मेहनतकश आबादी भिखारियों में बदल दी गई। अब महिलाएं-बच्चे भीख मांगने की कला सीख रहे हैं, क़तार में रहने का धैर्य अर्जित कर रहे हैं। कोरोना से ऐसे लड़ना है तो यह बहुत बड़ी क़ीमत है।