"पलकों के पीछे कोई ख्वाब गहरा है," कोई समझें उसे तो जाने क्या हाल उसका है ।। कितनी ढलानों से गुजरा ये जीवन है उसका और किन ऊंचाईयों पर आज आ पहुंचा है । ऑखों के आगे तो मिल गया सबकुछ उसे ,, पर कुछ छूट गया , कुछ रह गया तो वो इन ऑखों के पीछे ! जिसका ख्वाब आज भी नींद से सटकर खडा़ इंतजार कर रहा है ।।। # पलको के पाछे , कोई ख्वाब गहरा है ,