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सपने यूह बिखरे की फिर जुड़ न पाए, हम कुछ यूंह बिछड़

सपने यूह बिखरे की फिर जुड़ न पाए, 
हम कुछ यूंह बिछड़े की मिल न पाए.... 
रस्ते मे मिले चाहे अब लाखों फूल, 
तेरे सिवा.... किसी से दिल ना लगाएं। 
__अनुराग ___ तेरे सिवा.......
सपने यूह बिखरे की फिर जुड़ न पाए, 
हम कुछ यूंह बिछड़े की मिल न पाए.... 
रस्ते मे मिले चाहे अब लाखों फूल, 
तेरे सिवा.... किसी से दिल ना लगाएं। 
__अनुराग ___ तेरे सिवा.......

तेरे सिवा.......