जात -पात कोरोना भी सभी को समान रूप से रहा है फंसा फिर तु अपने देश को क्यों दे रहा है झांसा अब तो तुम छोड़ दो ये हिंसा मिटा दो ये जात-पात का किस्सा प्रकृति भी समान रूप से लुटाती है प्यार अपना हर भारतीय देख रहा है भाईचारे का सपना प्रत्येक भारतीय निभाएगा कर्तव्य अपना क्योंकि मानवता ही तो है धर्म अपना ©M.K.Sharma जात-पात