कारे कारे बादर छाए उमड़ घुमड़ घनघोर घटाएं छम छम बारिश बरसाए पिया की कोई ख़बर न लाए मैं कैसे करूं श्रृंगार तोए बगैर मोहे कुछ न सुहाए बारिश की बूंद बूंद निगौड़ी अंग अंग जलाए तेरी दुल्हनिया क्यों तुझे जलती नज़र न आए विरह की आग में जलता मेरा चकोर हृदय रुलाए डॉ लाल थदानी #अल्फ़ाज़_दिलसे Let your feelings flow through this beatiful background. Must use hashtag- #cascadewriters Specific hashtag- #CWplainBG985 कारे कारे बादर छाए उमड़ घुमड़ घनघोर घटाएं